आसमान


आसमान  नीला होता है,
कितना विशाल होता है
इतना विशाल जिसके नीचे
सभी समा जाते   है 
ऐसे  ही  मन  होता है
 जो सब कुछ समेटे होता है
आसमान की तरह
दुःख हो या सुख
 सब कुछ छुपा लेता है
जब प्रक्रति  अपना रंग
 बदलती है तो सब बदल जाता है
आसमान नीला से काला हो जाता है
जब दुःख आता है तो,
मन  दुखी हो जाता है
सब कुछ काला लगता है
अच्छी  बाते  भी बुरी लगती है
तो  कितनी समानता है
मन और आसमान में

टिप्पणियाँ

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
बहुत ही बढ़िया


सादर
Ragini ने कहा…
achche bhav...good!!

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