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प्यास

प्यास बुझ जाती है एक घूट पानी से जो न बुझती है प्यास वो है मृगतृष्णा की जीवन है छलावा ये पता है सबको फिर भी जीने की प्यास है सबको दौलत शोहरत की प्यास बहुत तेज होती है मानवता को मार रिश्तो का खून करती है नए नए संसाधन को जुटाने में लगे है सभी पर माँ पिता को पूछने की प्यास नहीं लगती है किसी को सब मस्त है बाहरी दुनिया में मरने का सच किसी को जानने की न होती है प्यास हर समय बेटो की प्यास होती है बेटी  की प्यास न होती किसी को नेताओ को होती है कुर्सी की प्यास अभिनेता को होती है ख्याति की प्यास बाबाओ को होती है भक्तो  की प्यास भक्तो को होती है दुःख मिटने की प्यास दुःख सुख के चक्कर में जो फॅसा उसे लगती है सहनभूति की प्यास मन को जगा और बना ले भक्ति की प्यास प्रेम करो  और प्रेम रुपी रौशनी की प्यास को जगाओ और पूरे समाज में प्रेम  जगाओ गरिमा