बेटिया
बेटिया होती है कितनी प्यारी 
सबके आखो की राजदुलारी 
फिर भी लोग क्यों समझते है बोझ 
बेटे से जादा काम आती है बेटिया 
हर समय माँ, बेटी, बहन बनकर 
सबको प्यार देती है बेटिया 
क्यों नहीं समझते लोग इनका मोल 
हर सुख दुःख में ढाल बन   कर खड़ी है बेटिया 
फिर क्यों इन्हें मार देते है कोख में 
बेटी न रही तो क्या होगा इस समाज का 
बेटी तो घर की रौनक है 
ये कोई क्यों नहीं जानता?
बेटी को  घर  की लक्ष्मी  बनाओ 
 
 
  

टिप्पणियाँ

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
बहुत बढ़िया


सादर

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