आखे
कितनी प्यारी है तुम्हारी आखे
कुछ अच्छा देखती है कुछ बुरा
पर अगर आखे न हो तो
कितनी वीरान लगती है
दुनिया सारी,
आखे खुली तो सब कुछ सुहाना
और बंद हो तो रोये जमाना सारा
आखे है कितनी अनमोल
इसका नहीं कोई मोल
कितनी प्यारी चीज़ दी है भगवान ने,
पर इनसे हम देखते है,
दुनिया की बुराई,
क्यों नहीं देखते है अच्छी
बाते
जब बंद होती है हमारी आखे
तो लोग कहते है
वो अच्छा था
पर अब क्या अब
तो आखे हो गयी बंद
  
 
   
    

टिप्पणियाँ

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…
बहुत ही बढ़िया।


सादर

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