ऐ हवा
ऐ हवा कहा हो तुम,
कभी मेरे दर पर भी आया करो
और दे जाया करो कुछ मीठी यादे ,
जो सम्हाल कर रखी है तुमने
शाम ढलने वाली है
और मंद मंद हवा
कुछ संदेसा ला रही है
ऐ चाँद तुम अपनी चांदनी
की इनायत कर दो
मेरे इस सूने घर में
कुछ रौशनी कर दो,
वैसे मैंने रौशनी के लिए
चिराग भी जलाये है बहुत
पर हवा के एक बयार से
वो चिराग भी बुझ गए
ऐ हवा तुम आ जाओ
और दे जाओ मीठी मीठी याद
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सादर